कोई चिकित्सक जब ईलाज या आपात सेवाओं के लिए जनता और पुलिस से ही यह कह दे कि मुख्यमंत्री तो क्या प्रधानमंत्री भी कहे तो मैं ईलाज नहीं करूंगा । तो इस व्यवस्था के बेलगाम होने का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है ।
मामला देर रात का है जहां बेस अस्पताल हल्द्वानी में इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर कैलाश रावत शराब पीकर मरीजों और तीमारदारों से बदतमीजी और गाली गलौज पर उतर हंगामा काटने लगे।
दरअसल देर रात मारपीट के में घायल युवकों को इमरजेंसी में लाया गया जहां इमरजेंसी में तैनात ‘इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर’ डॉक्टर कैलाश रावत ने इलाज करने से मना करते हुए मरीजों और तीमारदारों के साथ गाली गलौज और बदतमीजी करना शुरू कर दिया। इस दौरान सूचना पाते ही मौके पर पहुंची पुलिस भी पहुंच गई, लेकिन पुलिस के सामने भी डॉक्टर साहब के अंदर शराब से उपजा शैतान शांत होने के बजाए और ज्यादा उत्तेजित हो गया और गाली गलौज करता रहा ।
डॉक्टर साहब यही बात दोहराते रहे कि चाहे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से शिकायत कर दो मै इलाज नहीं करूंगा, मेरे को कोई फर्क नहीं पड़ता।
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इस दौरान तीमारदारों ने डॉक्टर के इस हरकत की वीडियो भी बना ली। स्थानीय पार्षद और तीमारदारों ने तहरीर देते हुए आरोप लगाया है कि डॉक्टर नशे में धुत था साथ ही वो मरीजों और तीमारदारों के साथ गाली गलौज और बदतमीजी कर रहा था। डॉक्टर के इलाज न करने के बाद घायल मरीजों को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, वही शिकायत के बाद कोतवाली पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
नगर कोतवाल अरुण सैनी से इस बावत पूछे जाने पर उनका कहना था कि – सूचना पर पुलिस गई थी जिसकी जांच अभी चल रही है ।
वहीं इस पूरे मामले में जिला अधिकारी धीराज सिंह का कहना है कि उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमओ को तत्काल जांच करने के निर्देश दिए हैं जांच में जो भी दोषी पाया गया उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ऐसा होता क्यों है
इस मामले से एक बात तो साफ होती है कि जिला प्रशासन आँखों में पट्टी बांधे विवेकहीन नीतियां बना उल्टे- सीधे फैसले अमल में लाता है । जिस बेस अस्पताल को और कई चिकित्सकों तथा अन्य सुविधाओं की जरूरत है वहां जिला प्रशासन भारी रकम से स्वागत द्वार बनवा रहे हैं ।