मोदी सरकार की खिलाफत और इंडिया गठबंधन की पैरवी को मैदान में उतरी आशा कार्य कर्ताएं और वाम नेता

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ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल और प्रदेश महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय ने एक संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहा कि, “आशाओं ने जी जान लगाकर आम जनता की सेवा की है। जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य की बेहतरी के साथ-साथ कोरोना महामारी के दौर में आशाओं ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर आम जनता की सेवा की है लेकिन आशाओं के सम्मान, उचित वेतनमान, पेंशन और सेवा नियमितीकरण की मांगों पर मोदी सरकार लगातार दस साल से चुप्पी साधे हुए है। पिछले वर्षों में आशाओं को वेतन देना तो दूर मानदेय तक केंद्र सरकार ने घोषित नहीं किया है बल्कि दशकों से चल रही एन एच एम की बुनियादी सरकारी योजना को मोदी सरकार कमजोर करने में लगी हुई है। जब से यह सरकार आई है एन एच एम जैसी योजनाओं के लिये बजट का आवंटन साल-दर-साल घट रहा है। दूसरी ओर, इस योजना को निजी कंपनियों या एनजीओ को सौंपा जा रहा है। असल में, मोदी सरकार इस योजना से पीछा छुड़ाने की फिराक में है। मतलब साफ है कि इस स्कीम और आशा कर्मियों का अस्तित्व खतरे में डाला जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि, “उत्तराखंड में भी बीजेपी की धामी सरकार ने आंदोलन के समय खटीमा में आशाओं के साथ किए गए वायदे को नहीं निभाया, डी जी हेल्थ द्वारा आशाओं के मानदेय के प्रस्ताव को भी वादा करके नहीं निभाया।”

आशा यूनियन नेताओं ने कहा कि, रसोई गैस, खाने के तेल, दालों, आटा, चावल, मसालों, पेट्रोल, डीजल समेत तमाम उपभोक्ता सामग्री में जिस तरह से लगातार इस सरकार के राज में वृद्धि हुई उसने आम जनता की कमर तोड़ कर रख दी है, आशाओं को तो जो पैसे मिलते हैं उससे इस बढ़ती महंगाई में गुजारा चलाना संभव ही नहीं है।

कमला कुंजवाल और डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, लोकसभा चुनाव के मौके पर आशाएं अपने हर दिन के संघर्ष और आन्दोलन को न भूलें, वेतन , कर्मचारी का दर्जा, पेंशन देने में सरकार के इंकार को न भूलें, आशाओं को मिले अपमान और गुलामी को न भूलें, कोरोना काल में मोदी सरकार की चरम संवेदनहीनता और वादाखिलाफी को न भूलें, भाजपा राज्य सरकार की वादाखिलाफी को न भूलें और एकजुट होकर आशा वर्कर्स के अधिकारों पर लगातार हमला करने वाली मोदी सरकार को चुनाव में हराने के लिए वोट दें। इस सरकार को आशाओं की वोट ताकत का अहसास कराना जरूरी है जिससे आने वाली सरकार आशाओं की मांगों को हल करने के लिए आगे बढ़े।

उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ देश में विपक्षी पार्टियों का ‘इंडिया गठबंधन’ बना है भाजपा के खिलाफ इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताएं। उत्तराखंड राज्य में इंडिया गठबंधन के तौर पर लोकसभा सीटें कांग्रेस पार्टी के हिस्से में आई हैं इसलिए आशाओं को धोखा देने वाली भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशियों को अपनी अपनी लोकसभा सीटों से चुनकर संसद में भेजें।

आशा नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में आशाओं के अधिकारों पर लगातार हमले करने वाली मोदी सरकार को शिकस्त देने की अपील की।


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