ओ मेरी मृत्यू

सपना भट्ट की ये कविता दरसअल कविता मात्र नहीं बल्कि ये एक प्रारूप है । कि…

हम भी पागल तुम भी पागल ..

देहरी के बाहर से एक मिमियाती हुई आवाज़ आई – दीप पाठक जी घर पे हैं…