रुद्रपुर। स्वास्थ्य सेवाओं की चाक चौबंदी पर मुख्यमंत्री चाहे जितना दावा करें पर धरातल पर नजारे अलग ही देखने को मिलते हैं। इससे बड़ा उदाहरण और कहां मिलेगा कि मुख्यमंत्री के प्रशासनिक अधिकारी जनता से कह रहे हैं कि रोज कई लोग मरते हैं, तुम भी मर जाओ तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। यह ताजा मामला है रुद्रपुर, उधमसिंह नगर का जहां शुक्रवार की दोपहर को अपर जिलाधिकारी कुछ इस तरह उन महिलाओं से रूबरू हुए जो चार दिनों से अनशन पर बैठी हैं।
दअरसल डॉल्फिन कम्पनी की ज्यादतियों और श्रम कानूनों के उल्लंघन से क्षुब्ध मजदूर एक लंबी लड़ाई के बाद पिछले पांच दिनों से गांधी पार्क रुद्रपुर में अनशन पर बैठे हैं, उनकी जायज मांगों को कंपनी मानने को तैयार नहीं हैं प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे और स्वास्थ्य महकमे से गुजर लगाने के बाद भी कोई सुध नहीं ले रहा। बीते शुक्रवार को अनशन पर बैठी दो महिलाओं की तबियत ज्यादा ही बिगड़ गई,जिसकी सूचना प्रशासन व मुख्य चिकित्साधिकारी को समय से दे दी गई थी, लेकिन स्वास्थ्य महकमे के किसी भी अधिकारी ने अनशनकारी महिलाओं के गिरते स्वास्थ्य को देखना जानना जरूरी नहीं समझा।स्वास्थ्य अधिक बिगड़ जाने पर बमुश्किल मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनोज शर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
यहां यह बड़ा सवाल है कि मनोज शर्मा किस मंशा या दबाव के चलते किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे थे। बाद में तहसीलदार सहित प्रशासन और पुलिस अधिकारी भी आमरण स्थल गांधी पार्क पहुंचे। उन्होंने अनशन खत्म किए जाने के उद्देश्य से अनशनकारी महिलाओं को अस्पताल भर्ती कराने की बात कही तो इस बात को लेकर अनशनकारी मजदूरों और प्रशासनिक अमले के बीच नौकझोंक भी हुई। यह तो है धामी सरकार का जन स्वास्थ्य को लेकर किए जाने वाले दावों का सच का एक पहलू।
असल में अपने नौकरशाहों पर कितना नियंत्रण है जो वे आमजन को मौत को निमंत्रित तक कर देते हैं। यह बात अपर जिलाधिकारी पंकज उपाध्याय के बिगड़े बोलों से साफ हो जाती है। जानकारी के मुताबिक जब डॉल्फिन कम्पनी के श्रमिकों का शिष्टमंडल पंकज उपाध्याय ने मिलने पहुंचा तो उन्होंने साफ साफ कह दिया कि दुनियां में दर्जनों लोग रोज मर रहे हैं तुम में से भी दो चार मर जाएंगे तो क्या हो जाएगा। एक जिम्मेदार पद पर बैठे किसी अधिकारी का यह बयान महिलाओं के प्रति उनकी संकीर्ण विचार को ही नहीं दर्शाता है बल्कि बतौर प्रतिनिधि शासन के मुखिया के विचारों को भी जनता के सम्मुख प्रेषित करता है।
इधर डॉल्फिन कंपनी के मजदूरों जिला प्रशासन व उप श्रमायुक्त पर कंपनी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। मजदूरों का कहना था कि डबल इंजन सरकार महिला सुरक्षा और मजदूर हितों का दावा तो खूब जोर शोर से करती है पर धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है। हमें अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन करना पड़ा, आमरण अनशन करने को मजबूर हुए, इसके बावजूद समाधान दूर तक नजर नहीं आ रहा ।
मोदी जी से की अपील, सीएम आवास खटीमा पर हो मेरा अंतिम संस्कार
डॉल्फिन कम्पनी के मजदूरों के साथ आमरण आमरण अनशन पर बैठी पिंकी गंगवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में डॉल्फिन कम्पनी के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी, बोनस, बुनियादी श्रम कानूनों को लागू करने की समस्याओं का उल्लेख किया है।
उन्होंने डॉल्फिन मज़दूरों के साथ हो रहे अन्याय के लिए सूबे के मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराते उन्होंने कहा यदि आमरण अनशन करते हुए उनकी जान चली जाती है तो उनका अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री के खटीमा स्थित आवास पर सम्पन्न कराना सुनिश्चित करे।