नई दिल्ली। पहाड़ों और गावों के भरोसे दुनियां भर को कार्बन उत्सर्जन से बचा ग्रीन बोनस लेने वाले हमारे भारत की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते इमरजेंसी जैसे हालात बनने जा रहे हैं। स्थिति दिल्ली के कई इलाके खाली कराए जाने की ओर बढ़ रही है। बड़ी बात यह है कि अगले कुछ दिन किसी तरह की राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है। आम लोगों के साथ ही दमे, सांस, फेफड़े से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए दिल्ली में रहना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। 400 से 500 अंक का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मनुष्यों के लिए गंभीर खतरे वाला माना जाता है। जबकि दिल्ली के कई इलाकों में यह 450 के पार हो चुका है।
दिल्ली की हवा में लगातार जहर घुलता जा रहा है। लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में है। दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता की वजह से आपातकाल जैसे हालात बन गए हैं। लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मंजूर हैं। जिससे गले में खराब, आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी भी बढ़ने लगी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। लोधी रोड में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 438, जहांगीरपुरी में 491, आरके पुरम
इलाके में 486 और आईजीआई एयरपोर्ट (टी 3) के आसपास 473 दर्ज किया गया है।
दो सप्ताह तक बना है खतरा
वैज्ञानिकों ने अगले दो सप्ताह के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की चेतावनी जारी की है। कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक पहले ही 400 से अधिक होने के कारण यह चेतावनी चिंताजनक है।
यह इलाके जूझ रहे हैं गंभीर खतरे से
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर तक पहुंचने लगा है। बुधवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 था। पंजाबी बाग 439, द्वारका सेक्टर आठ 420, जहांगीरपुरी 403, रोहिणी 422, नरेला 422, वजीरपुर 406, बवाना 432, मुंडका 439, आनंद विहार 452,
मोती बाग 406 सहित शहर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। पाठको के जानकारी के लिए बता दे कि एक्यूआई शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। इस तालिका से दिल्ली की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। इन स्थानों पर पीएम 2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की संद्रता 60 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर की सुरक्षित सीमा से छह से सात गुना अधिक रही।
बीमार लोग खुले से बचें
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा तथा फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोग अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और जब तक बहुत जरूरी न हो खुले में न जाएं।