(सलीम मलिक)
देहरादून। शिक्षा विभाग में पद की गरिमा और मर्यादा भूलकर संघी टोले की छात्र शाखा के प्रचार में सहयोग करने वाले अल्मोड़ा जिले के शिक्षाधिकारी को पद से हटाने के बाद भी उन पर वामपंथी दलों की भृकुटी तनी हुई हैं। भाकपा, माकपा और भाकपा माले लिबरेशन ने अधिकारी की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है। जबकि कांग्रेस सहित कई अन्य दल भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने की कवायद कर रहे हैं।
संदर्भ के तौर पर बताते चले कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से इसी महीने 16 फरवरी गुरुवार को राज्य अल्मोड़ा जिला मुख्यालय स्थित नंदा देवी मंदिर के परिसर में नए छात्रों को सांगठनिक घुट्टी पिलाने के मकसद से “छात्र गर्जना” नाम के एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता कम और नगर क्षेत्र के स्कूली छात्र-छात्राएं अधिक संख्या में शामिल हुए। यही नहीं नंदादेवी से रैमजे इंटर कॉलेज तक निकली एबीवीपी की शोभायात्रा के दौरान स्कूली ड्रेस पहने तमाम छात्र-छात्राएं हाथों में एबीवीपी का झंडा लेकर सड़कों में संगठन के पक्ष में नारेबाजी करते नजर आए। इस दृश्य को देखकर हर कोई हैरत में पड़ गया।
मामले की थोड़ा तफसील से पड़ताल के बाद अल्मोड़ा जिले के मुख्य शिक्षाधिकारी सत्यनारायण का एक आधिकारिक पत्र बरामद हुआ। इस पत्र में प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी सत्यनारायण ने नगर क्षेत्र के सात राजकीय इण्टर कालेज अल्मोड़ा, राजकीय बालिका इण्टर कालेज अल्मोड़ा, अल्मोड़ा इण्टर कालेज अल्मोड़ा, एडम्स गर्ल्स इण्टर कालेज अल्मोड़ा, आर्यकन्या इण्टर कालेज अल्मोड़ा, विवेकानन्द इण्टर कालेज अल्मोड़ा, विवेकानन्द बालिका इण्टर कालेज अल्मोड़ा शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को आदेश जारी करते हुए कहा था कि वह अपने स्कूल के 9वीं व 11वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को एबीवीपी के छात्र गर्जना सम्मेलन में शिरकत कराए। इस अधिकारी की संघी टोले की सेवा करके संघ पदाधिकारियों की नजरों में चढ़ने की उत्कंठा इतनी थी कि इन्होंने प्रत्येक स्कूल से दो-दो शिक्षकों को भी छात्रों के साथ छात्र गर्जना में शामिल होने के निर्देश जारी कर दिए।
शिक्षाधिकारी की सरकारी सेवा में रहने के दौरान संघ परिवार के प्रति निष्ठा का यह आलम तब था जब खुद राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने हाल ही में निर्देश दिए थे कि जुलूस प्रदर्शन व विभाग से इतर किसी भी गतिविधि में स्कूली छात्र-छात्राओं को शामिल नहीं किया जाएगा। शिक्षाधिकारी का स्कूली छात्र छात्राओं के कार्यक्रम में प्रतिभाग को लेकर लिखित आदेश बरामद होने के बाद जब उनसे इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने शिक्षा मंत्री के बयान की जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए एबीवीपी के कार्यक्रम की तमाम खूबियां भी गिनाई थी। लेकिन वार्षिक परीक्षाओं के लिए बच्चों को तैयार करने व उनके पठन-पाठन की ओर ध्यान देने के बजाय उन्हें किसी संगठन विशेष के कार्यक्रम में शिरकत कराने पर शिक्षा विभाग की जमकर किरकिरी होने शुरू हो गई। शिक्षाधिकारी ने जो पत्र इन स्कूलों के प्रधानाचार्यों को भेजा था, उसकी प्रतिलिपि एबीवीपी पदाधिकारी दीपक उप्रेती को भेजे जाने से स्पष्ट था कि एबीवीपी कार्यकर्ता के कहने पर ही उन्होंने यह आदेश जारी किया होगा। इतने से यह तो साफ है कि छात्र-छात्राओं के पठन पाठन पर ध्यान देने के बजाय शिक्षा विभाग के अफसर कैसे एबीवीपी के एक कार्यकर्ता के आगे नतमस्तक हो जाते है।
इस मामले में प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी हेमलता भट्ट का कहना था कि वह हाल में जिले में तैनात हुई है। उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। अलबत्ता उन्होंने यह माना कि शिक्षा मंत्री द्वारा पूर्व में बैठको में स्कूली छात्र-छात्राओं को विभागीय गतिविधियों के अलावा अन्य किसी भी कार्यक्रम में प्रतिभाग नहीं कराने के निर्देश दिए हैं। वार्षिक परीक्षाएं नजदीक है। विद्यार्थियों को इस तरह के कार्यक्रम में क्यों भेजा गया वह इसकी भी जानकारी लेंगी। इस प्रकरण के तत्काल बाद प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी हेमलता भट्ट की ओर से शुक्रवार 17 फरवरी को सभी खण्ड शिक्षा अधिकारी, उप शिक्षा अधिकारी के अलावा सभी शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापकों को एक आदेश जारी करते हुए कहा गया था कि स्कूली छात्रों को विद्यालय से इतर किसी कार्यक्रमो में प्रतिभाग न कराए जाने के निर्देश दिए है। इसका उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में नगर के स्कूली छात्र-छात्राओं को प्रतिभाग कराए जाने का मामला जब अल्मोड़ा की जिलाधिकारी वंदना के संज्ञान में आया तो डीएम ने भी मामले में मुख्य शिक्षा अधिकारी से जवाब तलब किया। जिस पर हेमलता भट्ट का कहना है कि मामले में जिलाधिकारी को आख्या भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में आदेश जारी किए गए है। आदेश का पालन नहीं करने पर संबंधित के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
इस मामले के अब लगातार तूल पकड़ने के बाद उत्तराखंड के वामपंथी दलों ने राज्य के राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर अल्मोड़ा जिले के सीईओ को बर्खास्त करने की मांग उठाई है। भाकपा (माले) की केन्द्रीय कमेटी सदस्य इन्द्रेश मैखुरी, माकपा के राज्य सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी तथा भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य समर भंडारी की ओर से सूबे के राज्यपाल और माध्यमिक शिक्षा की निदेशक को भेजे गए ज्ञापन में कहा कि अल्मोड़ा जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी सत्यनारायण ने 13 फरवरी को जारी पत्र में 16 फरवरी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला सम्मेलन में छात्र/छात्राओं को दो अध्यापकों के साथ प्रतिभाग करवाये जाने का आदेश दिया है। कोई भी छात्र संगठन अपना सम्मेलन करे और उसकी यह इच्छा हो कि उसमें छात्र- छात्राओं की अधिकतम भागीदारी हो, यह वाजिब है। लेकिन किसी जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी किसी छात्र संगठन के सम्मेलन के लिए भीड़ जुटाने का काम अपने हाथों में ले लें और इसके लिए अपने अधीनस्थों को लिखित आदेश जारी करें, यह किसी हाल में सही नहीं ठहराया जा सकता है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी महोदय का काम किसी राजनीतिक पार्टी के छात्र संगठन के लिए भीड़ जुटाना नहीं बल्कि उनका काम है कि वे अपने प्राधिकार में आने वाले विद्यालयों में नियमित पठन-पाठन करवाएँ। लेकिन अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने ऐसे समय में छात्र-छात्राओं को एक छात्र संगठन के सम्मेलन में भेजने का आदेश किया है, जबकि परीक्षाएं सिर पर हैं। अल्मोड़ा जिले के मुख्य शिक्षाधिकारी का यह कृत्य अनैतिक तो है ही, यह विधि विरुद्ध भी है। उत्तराखंड में लागू राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 की धारा 5 (1) कहती है कि “कोई सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या किसी ऐसी संस्था का, जो राजनीति में हिस्सा लेती हो, सदस्य न होगा और न अन्यथा उससे संबंध रखेगा और न वह किसी ऐसे आंदोलन में या संस्था में हिस्सा लेगा या किसी अन्य रीति से उसकी मदद करेगा……….” ! इससे स्पष्ट है कि छात्र-छात्राओं को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन में भेजने का आदेश जारी करके अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षाधिकारी सत्यनारायण ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली का भी उल्लंघन भी किया है। अतः उन्हें तत्काल निलंबित करते हुए, उनके पद से हटाया जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि भविष्य में जिम्मेदार पद पर बैठा कोई अधिकारी इस तरह का कृत्य न करे। इसके साथ ही कांग्रेस सहित कई अन्य दलों ने भी शिक्षा विभाग के इस अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बाकी सोशल मीडिया पर तो इसको लेकर कोहराम मचा हुआ ही है। अधिकारी की बाबत ताजा अपडेट यह है कि फिलहाल मामले के तूल पकड़ने के बाद इस अधिकारी को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा अब उन पर विभागीय जांच की तलवार भी लटक रही है।