संजय रावत
अथाह धन की लालसा में आदमी इंसानियत के दायरे से बाहर निकल संवेदनहीन ही नहीं हो जाता है बल्कि गैरसंवैधानिक रास्ते इख्तियार कर पूरे समाज के सामने मल में लिपट कर लोट पोट होने को भी तैयार रहने लगा है, ख्वाहिश एक ही है कि किसी भी तरह पूंजी में गुणात्मक उछाल बरकरार रहे । आज ऐसी ही कुछ कहानी है आपके सामने।
उत्तराखंड भर में हो यह रहा है कि किसी भी तरह की डीलरशिप चला सकने का माद्दा रखने वाले लोग रिटेलर को बड़े मुनाफे का सपना दिखा कर सिर्फ ब्लैंक चैक पर दुकान भर माला दे देते हैं, हिसाब दोनों तरफ से चलता रहता है। कई बार डीलर हिसाब पूरा होने के बाद रिटेलर से व्यवहार के चलते बड़ी रकम भी बिना लिखत के ले लेता है और कई बार इस बात से मुकर भी जाता है। इसका असर यह होता है कि रिटेलर परेशान हो कर अमूक डीलर से माला लेना बंद कर देता है । इधर जैसे ही रिटेलर हिसाब का जो थोड़ा बहुत बकाया है खत्म करने की बात करता है तो डीलर उसके दिए ब्लैंक चैक में अपनी मर्जी की रकम भर कर बैंक में लगा देता है। ऐसे कई मामलों में बेकुसूर रिटेलर अर्थदंड और जेल की सजा सुन चुके हैं।
ऐसे गोरखधंधे से संबंधित एक मामला उत्तराखंड के रुद्रपुर ( उधमसिंह नगर ) से सामने आया है जहां रुद्रपुर में गुरु मां इंटरप्राइजेज नामक फर्म के स्वामी/पार्टनर अभिमन्यु ढींगरा ने हल्द्वानी निवासी नियाज़ अहमद,स्वामी लवी इलेक्ट्रॉनिक्स को ऐसे ही मामले में फंसा कर न सिर्फ जुर्माना डलवाया बल्कि जेल भी करवा दी।
जानकारी के मुताबिक अभिमन्यु की फर्म और नियाज़ अहमद की फर्म के बीच कोई लेन देन बांकी नहीं था, तब भी अभिमन्यु ने नियाज़ अहमद के ब्लैंक चैक पर ₹ 2370000 ( तेइस लाख सत्तर हजार ) भर मुकदमा कायम कर दिया। जिस पर नियाज़ अहमद के हिस्से एक वर्ष का कारगार और ₹ 3000000 ( तीस लाख ) अर्थदंड आया।
इसे सोची समझी योजना कहें या धनलोलुपता की राजनीति कि मुफ्त ही फंस गए नियाज़ अहमद। सारा हिसाब साफ होने के बावजूद अभिमन्यु साहब ने न्यायालय को भी अंधेरे में रख 24 से 34 लाख कुछ के पांच बिल नियाज़ अहमद की फर्म लवी इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम देनदारी में दिखाए, जो इस तरह से हैं –
1 – बिल न०- 5161 दि.- 03/01/2016, ₹ 302628.00,
2 – बिल न०- 5299 दि. – 13/01/2016, ₹ 266846.00,
3 – बिल न०- 5332 दि. – 16/01/2016, ₹ 250422.00,
4 – बिल न०- 5586 दि.- 04/02/2016, ₹ 243160.00
5 – बिल न०- 5674 दि. – 10/02/2016, ₹ 347410.00
यह पांचों बिल न्यायालय की आखों में धूल झोंकने को प्रस्तुत किए गए थे, चूंकि नियाज़ अहमद की देनदारी कुछ थी ही नहीं तो सूचना के अधिकार में उपरोक्त बिलों की जानकारी राज्य कर रुद्रपुर से मांगी गई, जहां साफ होगया कि उक्त संख्याओं का एक भी बिल लवी इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम नहीं कटा था, बल्कि अलग अलग शहरों के अलग अलग रिटेलर के नाम उपरोक्त डिटेल के साथ कटे थे, जो कुछ इस तरह थे –
1 – बिल न०- 5161 दिनांक – 03/01/2016, रूपये 302628.00, मक्कड़ इंटरप्राइजेज दिनेशपुर,
2 – बिल न०- 5299 दिनांक – 13/01/2016, रूपये 266846.00, कुमार इलैक्ट्रॉनिक्स बनबसा,
3 – बिल न०- 5332 दिनांक – 16/01/2016, रूपये 250422.00, लाइट एण्ड म्यूजिक कैरियर काशीपुर,
4 – बिल न०- 5586 दिनांक – 04/02/2016, रूपये 243160.00, भगवती इलैक्ट्रॉनिक्स किच्छा,
5 – बिल न०- 5674 दिनांक – 10/02/2016, रूपये 347410.00 डिजिटल वर्ल्ड हल्द्वानी।
गुरूमा इंटरप्राइजेज के अभिमन्यु धींगड़ा द्वारा योजनाबद्ध तरीके से सोच समझ कर किया गया उक्त कृत्य कानूनी अपराध तो है ही साथ ही उत्तराखण्ड माल और सेवा कर अधिनियम 2017 व उत्तराखण्ड मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2005 की विभिन्न धाराओं के तहत भी दंडनीय कृत्य प्रतीत होता है । साथ ही यह भी प्रतीत होता है कि गुरूमा इंटरप्राइजेज रुद्रपुर के द्वारा पूर्व में भी राज्य कर विभाग व अन्य व्यक्तियों / व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ इस प्रकार की धोखाधड़ी की जाती रही है जिसकी उच्चस्तरीय विस्तृत जांच किया जाना अपरिहार्य लगता है।
इस मामले पर जब हमने नियाज़ अहमद से बात की तो उनका कहना था कि – मेरी कोई बकाएदारी नहीं थी। मैने कई बार इन लोगों से अपना ब्लैंक चैक मांगा पर ये कोई न कोई बहाना बना कर टालते रहे। जब मैं सऊदी गया था तब इन्होंने मनमानी रकम भर चैक लगा दिया। मामले पर अभिमयु का बयान भी जरूरी था तो हमने उन्हें भी फोन किया पर उनका फोन उठा नहीं।