शिवसेना से निष्कासित दबंग छवि के गुप्ता बंधुओं ने हल्द्वानी में सरेआम दिया प्रॉपर्टी डीलर हत्याकांड को अंजाम

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भुप्पी पांडेय की सरेआम हत्या को तब अंजाम दे दिया गया, जबकि एक सप्ताह पहले ही वह गुप्ता बंधुओं से अपनी हत्या की आशंका पुलिस के पास दर्ज एक एफआईआर में व्यक्त कर चुका था….  उत्तराखण्ड के हल्द्वानी शहर के व्यस्तम चौराहे में दिनदहाड़े कल 15 दिसंबर को कल एक हत्या कर दी गयी। इस हत्या को दो भाइयों ने सरेआम किया, भारी भीड़ इसकी गवाह रही। समय रहा होगा सुबह करीब 10:30 से ग्यारह बजे का। ये वो चौराहा है जहां यातायात दुरुस्त करने को पुलिस हमेशा मुश्तैद रहती है। 15 दिसंबर को दिन में प्रॉपर्टी डीलर भुप्पी पांडेय की सरेआम गोली मारकर हत्या करने वालों में गुप्ता बंधुओं सौरभ और गौरव का नाम सामने आ रहा है। गौरतलब है कि भुप्पी पांडेय की सरेआम हत्या को तब अंजाम दे दिया गया, जबकि एक सप्ताह पहले ही वह गुप्ता बंधुओं से अपनी हत्या की आशंका पुलिस के पास दर्ज एक एफआईआर में व्यक्त कर चुका था, फिर सवाल है कि पुलिस ने इस मामले पर ध्यान क्यों नहीं दिया, क्या वह एक अनहोनी का इंतजार कर रही थी।
आज 16 दिसंबर की सुबह से पोस्टमार्टम रूम के बाहर वो सभी लोग मौजूद हैं जिन्होंने गुप्ता बंधुओं पर धोखाधड़ी समेत तमाम मुकदमे दर्ज किए हुए हैं। लोगों का कहना है कि इसके बाद वे सभी कोतवाली जाएंगे। इन लोगों का कहना है कि गुप्ता बंधुओं को कोतवाल विक्रम राठौर ने संरक्षण दिया हुआ था। अब विक्रम राठौर की बर्खातगी के खिलाफ लोगों ने नारेबाजी भी शुरू कर दी है। आरोपियों और मृतक के बीच किसी संपत्ति के कमीशन को लेकर विवाद का मामला सामने आया है, जिसने चौराहे पर हत्याकांड का रूप लिया। हत्यारोपी दोनों भाई सौरभ और गौरव गुप्ता कभी शिव सेना के सदस्य रहे थे, मगर बाद में उन्हें अनुशासनहीनता के चलते निष्कासित कर दिया गया था।
भुप्पी पांडेय हत्याकांड से पहले गुप्ता बंधुओं सौरभ और गौरव के साथ उसका विवाद चल रहा था। भुप्पी ने गुप्ता बंधुओं के खिलाफ पिछले हफ्ते एफआईआर दर्ज करा दी थी, बावजूद इसके दोनों भाई खुलेआम घूम रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि भुप्पी के सिर पर गुप्ता बंधुओं ने बुलैट की 6 गोलियां उतार दीं।
हल्द्वानी कोतवाली में कोतवाल विक्रम राठौर को बर्खास्त करने को लेकर मृतक भुप्पी पांडे के शव के साथ नारेबाजी करते नगरवासी और परिजन छोटी सी जगह पर चूड़ी बेचने से प्रॉपर्टी डीलर बनने तक की गुप्ता बंधुओं की कहानी हल्द्वानी में कई लोगों की जुबान पर रहती है। दबंग छवि के अलावा ये दोनों भाई पुलिस अधिकारियों, नेताओं और सेलिब्रिटीज से नजदीकी रखते थे। इतना ही नहीं मौके—बे—मौके पत्रकारों को गिफ्ट बांटने के मामलों में भी इनका नाम सामने आता रहता था।
इनके नजदीकी लोग बताते हैं कि एक गायिका ने किसी का मकान हड़पने के लिए पहली बार इन्हें 20 लाख रुपये पेशगी दी थी। ये काम सामाजिक ताने बाने के हिसाब से गुप्ता बंधुओं के बस का नहीं था तो इन्होंने शहर के उस दबंग की शरण ली जो इन्ही कामों के लिए कुख्यात था। उस गायक का मामला तो सुलझा नहीं, मगर ये 20 लाख लेकर अपराध के इस दलदल में जरूर जा पहुंचे। अब ये एक कुख्यात दबंग के करीब पहुंच गये थे जो अधेड़ हो चुका था औश्र सिर्फ अपने नाम की खा रहा था। स्थानीय लोग बताते हैं इसी के बाद सिलसिला शुरू हुआ गुप्ता बंधुओं का नेता, मंत्रियों और सेलेब्रिटीज के साथ सेल्फी खींच अपनी इमेज बनाने का। हल्द्वानी के ही कुछ पत्रकार कहते हैं, गुप्ता बंधुओं ने कुछ पत्रकारों को मैनेज कर लिया, जिससे इनकी दबंगई बढ़ती गयी। कई तरह की अय्याशियों में दोनों भाई संलिप्त रहते थे।
दर्जनों धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज होने के बावजूद दोनों गुप्ता बंधु अक्सर पुलिस के साथ जश्न मनाते नजर आ जाते थे, मगर कभी इनकी गिरफ्तारी नहीं की गयी। जिस भुप्पी पांडे की सरेबाजार हत्या हुई है वह पुलिस से थाने में नाराजगी व्यक्त करने अपने साथियों के साथ गया था कि अब तक गुप्ता बंधुओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गयी, जिसके तुरंत बाद चौराहे पर पहुंचते ही उसकी हत्या कर दी गयी। सवाल उठने लगे हैं कि क्यों पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बावजूद गुप्ता बंधुओं की गिरफ्तारी नहीं की। क्या पुलिस खुद इस योजना में शामिल थी। कम से कम पूरा शहर तो यही कह रहा है कि ये पुलिस की मिलीभगत का अंजाम ही है। ये इस बात से भी प्रमाणित होता है कि अभी तक भुप्पी पांडे के घर वालों ने पुलिस को हत्या की तहरीर तक नहीं दी है।


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