किन नियंताओं के इशारों पर नाचने को मजबूर है उत्तराखंड वन विकास निगम

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सत्ता की आड़ लेकर हरीश सती ने सुनियोजित तरीके से पहले सगीर खान द्वारा एक भूभाग को समर्पण करने का इंतजार किया जिसमें पहले से ही करीब डेढ़ करोड़ का निवेश किसी अन्य द्वारा किया हुआ था। अनुबंध के मुताबिक होना क्या चाहिए था यह अगली कड़ी का हिस्सा रहेगा, पर यहां अभी बात करते है वन विकास निगम के अधिकारियों के मिली भगत की। सगीर खान द्वार समर्पण करने के बाद खुली निविदा आमंत्रित की जानी चाहिए थी पर की नहीं गई। किया यह गया कि इच्छुक आवेदनकर्ताओं से प्रार्थना पत्र मांगे गए, और कहा गया कि सभी की योग्यता परखने को एक कमेटी बनाई जाएगी, जो फैसला करेगी कि कौन काबिल आवेदक है, उसी के हक में फैसला होगा।

यहां योजना के तहत कुछ और ही होना तय था। वन विकास निगम के पांच अधिकारियों की कमेटी बनी जिसमें वो सारे महानुभाव शामिल थे जिन्होंने हरीश सती के पक्ष में फैसला देना था। इसके सदस्य गण थे माननीय विद्यासागर जी, जो ईको टूरिज्म रामनगर में अनुभाग अधिकारी हैं, दूसरे महानुभाव थे माननीय जी. सी. आर्या जी, जो विक्रय प्रभाग रामनगर में लेखा प्रबंधक रहे, तीसरे महानुभाव थे राम कुमार जी जो खनन रामनगर में प्रभागीय प्रबंधक हैं, चौथे महानुभाव थे राकेश कुमार जी,जो पूर्वी रामनगर में प्रभागीय लैंगिक प्रबंधक रहे, अब बढ़ते हैं उस नाम की तरफ जिन्हें इस मामले को निपटाने की सबसे ज्यादा जल्दबाजी थी, ये महानुभाव इस कमेटी के अध्यक्ष थे जो अभी प्रभागीय विक्रय प्रबंधक है जिनका नाम है जी.आर. आर्या. जी । इनके बारे में पता चला है कि ये जिस पद पर विराजमान हैं उस पद की अहर्ता ही नहीं रखते हैं।

चलिए अब मुखातिब होते हैं उन आवेदनकर्ताओं की तरफ जिन्हें खबर भी नहीं हुई कि अचानक हुआ क्या। पहले उन आवेदनकर्ताओं के नाम जान लें जिन्हें वन विकास निगम ने अपने दस्तावेजों में शामिल किया है। इसमें क्रमवार पहला नाम है – दीवान सिंह मटकोटी, पुत्र स्व. प्रेम सिंह मटकोटी, हल्द्वानी का, दूसरा नाम है चेतन बलुटिया, पुत्र स्व. जगदीश चंद्र बलुटिया हल्द्वानी का, तीसरा नाम है बलवंत सिंह नेगी,पुत्र चंदन सिंह नेगी रामनगर का,चौथा नाम तो योजनाकर्ता श्री हरीश सती जी की फर्म ‘रिधिमा बैकर्स एंड हॉस्पिटालिटी’ का, और पांचवां नाम है सत्यपाल सिंह,पुत्र दलीप सिंह,चिलकिया रामनगर का।

हरीश सती के अलावा उक्त चारों आवेदन कर्ताओं का कहना है कि निगम द्वारा हमसे आवेदन पत्र मांगे तो गए पर आवंटन वाले दिन हमें कभी बुलाया ही नहीं गया। हमें पहले ही शक था कि इस मामले में हरीश सती कुछ गडबड कर रहा है, इसलिए हमने विभाग में लिखित शिकायतें भी की पर किसी ने एक न सुनी और हरीश सती को उक्त भूभाग आवंटित कर दिया।

बिजरानी कैंप टेंट कॉलोनी की इस मामले में असलियत जहां पर्त दर पर्त खुलती जा रही है वहीं पाठकों द्वारा वन विकास निगम की कई कारगुजारियों का कच्चा चिट्ठा बयां किया जा रहा है।


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