उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में एक रचनात्मक योगदान का प्रतिफल है पोलिनेटर पार्क। वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में पोलिनेटर पार्क की अवधारणा के पीछे की मुख्य वजह है फसलों और अन्य वनस्पतियों का अनियंत्रित होता चक्र । जिसे नियंत्रित करने की ये छोटी ही सही, मगर एक सार्थक पहल है जो समाज में अहम भूमिका निभाएगी । 1.4 हेक्टेयर में बने इस पोलिनेटर पार्क का उद्घाटन नवंबर 2020 को हुआ ।
क्या हैं पौलिनेटर्स
पौलिनेटर्स को हम हिंदी में परगणकर्ता या परागणक कहते है । परागणक एक ऐसा जीव है जो एक फूल के नर ‘परागपिटर या परागकोष’ से पराग को फूल के मादा वर्तिकाग्र तक ले जाता है। जो परागकणों से नर युग्मकों द्वारा फूल में बीजांडों के निषेचन में मदद करता है।
हमारी प्रकृति में अधिकांशतः कीट प्रमुख परागणक हैं । कीट परागणकों में मधुमक्खियों के सभी परिवार और ततैया के अधिकांश परिवार, चींटियों मक्खियों के कई परिवार कई लेपिडोप्टेरान ( तितलियां और पतंगे दोनों ) और बीटल के कई परिवार । मुख्य रूप से चमगादड़ और पक्षी, लेकिन कुछ गैर-चमगादड़ स्तनधारी और कुछ छिपकली कुछ पौधों को परागित करते हैं। परागण करने वालों में पक्षियों की भी बड़ी तादात होती है ।
विलुप्त होने की कगार पर हैं पौलिनेटर्स
प्रकृति ने जीवन को संतुलित करने के लिए जीव और वनस्पतियों में अलग-अलग तरह के चक्र बनाए हैं । वनस्पतियों के जीवन, नवप्रजातियों और फैलाव को परागण की क्रिया मुख्य है । यह दो प्रकार से होता है। पहला है स्वपरागण और दूसरा पर परागण । कुछ तो पौंधे परागण की क्रिया स्वतः करते हैं जिसे स्वपरागण कहते हैं । । दूसरी किया है परपरागण जो अन्य तरीकों से होता है जैसे वायु परागण, जलपरागण तथा कीट परागण । यहां हम जिन पौलिनेटर्स की बात कर रहे वो कीटपरागण ही है ।
जब से हरितक्रांति का दौर शुरू हुआ तब से खेतों में कीटनाशक दवाओं और रासायनिक उर्वरकों के बेवजह इस्तेमाल से परागणक विलुप्त होने लगे । जिसका सीधा असर परपरागण की क्रिया पर पड़ा और वनस्पतियों का विकास अनियंत्रित हो गया । अब इसी अनियंत्रित गति को फिर से प्राकृतिक रूप देने को ही पौलिनेटर्स पार्क अस्तित्व में लाया गया है । जहां पोलिनेटर्स के लिए प्रकर्ति के अनुरूप ऐसे पेड़ पौंधे लगाए गए हैं जो उन्हें आकर्षित करते हैं ।
और भी बहुत कुछ है वन अनुसंधान केंद्र में
रचनाशील लोग प्रकृति और समाज को नई दिशा देने के लिए अपने अपने स्तर से हमेशा ही बेहतर योगदान के लिए जाने जाते हैं । वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में ऐसे ही रचनात्मक योगदान का प्रतिफल है पोलिनेटर पार्क जो मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी की संकल्पना और वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट के अथक प्रयासों का नतीजा है जहां पौलिनेटर पार्क के अलावा भी इस टीम ने बहुत कुछ रचनात्मक काम किए हैं जो नई पीढ़ी के लिए एतिहासिक स्तंभ के रूप में देखे जाएंगे ।
कई तरह की वाटिकाएं यहाँ आकर्षण का केंद्र हैं जो किसी भी आगन्तु को प्रफुल्लित करती हैं । जैसे औषधि वाटिका जहां कई तरह के रोगों से निजात पाने को वनस्पतियों के पौंधे हैं जिन्हें अन्य राज्यों से भी हजारों लोग देखने और ले जाने आते हैं । रुद्राक्ष वाटिका है जहां एक मुखी, तीन मुखी और पांच मुखी रुद्राक्ष के पौंधे लगाए गए हैं । इसकी स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी जहां दो मुखी और पांच मुखी पौंधे बना कर विक्रय भी किए जाते हैं ।
कैक्टस गार्डन में जहां करीब सौ प्रजातियों का संग्रहालय है वहीं जलीय पौंधों में
कमल के अलावा बीस से अधिक प्रजातियां हैं ।भारत वाटिका जहाँ देश के समस्त राज्यों और केंद्रशासित राज्यों के राज्य वृक्षों को एक वटिका में रोपित किया गया है ।
शहीद वाटिका जहां पुलामुआ (40) और गलवान में शहीद हुए 20 शहीदों के नाम एक एक वृक्ष श्रद्धांजलि स्वरूप लगाए गए हैं ।
ऐसे ही एक तरफ
रामायण वाटिका और महाभारत वाटिका भी हैं जहां उस कालखंड में होने वाली तमाम वनस्पतियां मौजूद हैं तो दूसरी तरफ सर्वधर्म वाटिका है जहां सभी धर्मों में पूज्य और पवित्र माने जाने वाले पौंधों के वृक्ष हैं ।
फिर सुगंध वाटिका की अपनी ही पहचान है जहां खुशबूदार पौंधों की कई प्रजातियां अगन्तुओं को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं । बच्चों के आकर्षण का केंद्र यहां की डायनासोर वाटिका है
जहां डायनासोर युग की वनस्पतियों को संग्रहित कर रोपित किया गया है । पर मुख्य आकर्षण का केंद्र है आधुनिक पौंधशाला जहां उत्तराखण्ड में विलुप्त हो रही लगभग साठ प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है । आंखिर और में आकर्षण का नया केंद्र है वह संग्रहालय जहां जैव विविधता गैलरी में वनस्पतियों और वन्य जीवों की 101 प्रजातियों का संग्रह हैं ।
वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में जीवविज्ञान के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए इससे बढ़िया जगह और कौन सी हो सकती है ।
सहयोगी सलीम खान के साथ संजय रावत की रिपोर्ट