गहराई में गुम हो जाने के बाद कुछ वाकिए जब फिर सतह में आते हैं तो समझ लीजिए कि उनका राज फाश होना लाजमी है। उत्तराखंड राज्य कभी भी संभावनाओं को दफ्न होने ही नहीं देता है। यहां छोटे से छोटे और बड़े से बड़े अपराध अपनी कहानी खुद कहने को मजबूर होते आए हैं। इस बार भी धोखाधड़ी का एक मामला लंबी गुमनामी के बाद सामने आया है, जिसे खुद पीड़ित परिवार सामने लाया है।
मामला है तल्ली हल्द्वानी के प्रवीण चौहान बनाम दिलशाद और हसन बंधुओं का। धोखाधड़ी के इस मामले में आरोपियों ने यथार्थ को पेचीदा बना कर कहानी को ऐसा प्रस्तुत किया गया कि जैसे वही सत्य का दर्पण हो। पीड़ित पक्ष प्रवीण चौहान और उनकी पत्नी चंद्रकला, निवासी तल्ली हल्द्वानी के मुताबिक जनाब हसन और दिलशाद निवासी नवीन सब्जी मंडी की जुगलबंदी ने प्रवीण चौहान की जिंदगी को नर्क सा बना डाला। इस मसले पर प्रवीण चौहान की पत्नी चंद्रकला के आरोपों के मद्देनजर जो बात कही गई है वो कुछ इस तरह से है कि –
हसन और दिलशाद मेरे पति से नजदीकियां बढ़ते हुए साझेदारी में मोटरगाड़ियों की खरीद फरोख्त करने लगे, एक दिन अचानक दोनों यह कहने लगे कि अब हम दोनों यह काम नहीं कर सकते, लिहाजा हमारे द्वारा खर्च की राशी ₹250000 ( पच्चीस लाख ) हमें दे दो और यह काम तुम ही संभाल लो। एक महीने की मोहलत के साथ रकम लौटने का वादा लेकर दोनों हजरात लौट गए पर अगले कुछ दिनों बाद मेरे पति को यह कह कर बनबूलपुरा बुलाया गया कि जिससे हमने उधार लिया है उनसे तुम्हें मिलना है, पर साजिशन हुआ यह कि उन्हें बुला कर बनभूलपुरा थाने में बंद कर मुझे फोन किया गया।
फोन पर मुझे कहा गया कि हम किसी व्यक्ति को भेज रहे हैं आप इस थाने पहुंचो, लेकिन मुझे थाने की जगह हल्द्वानी तहसील ले जाया गया। जहां हमसे कहा गया कि अब उक्त रकम ब्याज सहित 3500000₹ ( पैंतीस लाख ) हो गई है, इसके ऐवज में आप लोग अपनी जमीन की पवार आफ़ अटॉर्नी (मुख्तारनामा) हमारे नाम कर दीजिए, नहीं तो हम आपको जान से मार देंगे। मरते क्या न करते, हमने डर के मारे उनके कहे से यह काम भी कर दिया। इस बीच उन्होंने हमारी जमीन किसी पुष्पा
देवी पत्नी सुभाष चंद्र निवासी चौधरी कालोनी, बरेली रोड को बेच दी। उसके बाद हमारे पास यह कह कर आए कि आप ₹10000 ( दस हजार ) दीजिए हम मुख्तारनामा कैंसिल कराते हैं। इस सुनियोजित चाल के तहत हमारी जमीन चली गई। मेरे पति को दिलशाद बनभूलपुरा थाने में बिना किसी केस के कैद न करता तो यह नौबत आती ही नहीं। हमने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी शिकायत की, जिसकी जांच रिपोर्ट का कुछ पता नहीं चल पाया। हालांकि कुछ मुकदमे मेरे पति के ऊपर और लगा कर मामले को लंबित करने के वास्ते न्यायालय में दाखिल कर दिए गए हैं।
इधर हमने हसन और दिलशाद से भी उनका वक्तव्य चाहा तो हसन का पहले यह कहना था कि प्रवीण चौधरी और दिलशाद से मेरा कोई ताररूफ ( परिचय ) नहीं है। दिलशाद ने जरूर इस पर बात करने की जहमत उठाई और कहा कि मैं अभी बरेली आया हूं तीन दिन बाद सारे प्रमाण आपकी नजर करूंगा। पर 6 दिन बाद जब दिलशाद से प्रमाणों के बारे में जानना चाहा तो दिलशाद का फोन नहीं उठा।