संजय रावत
खनन कारोबारियों ने अपनी हैरतंगेज लूट से डबल इंजन सरकार नारे की असलियत को खोल कर रख दिया है, जिसके परिणाम आए दिन किसी न किसी घटना के रूप में सामने आ रहे हैं। कभी राजस्व चोरी का मामला है तो कभी बड़े मुनाफे के लिए अधिकारियों के संग सांठ गांठ का।
किसी के भी भूभाग को खोद उसमें से उपखनिज निकाल कर बेच देना, फिर उस विशालकाय गड्ढे को अपशिष्ट पदार्थों से भर कर राजस्व को करोड़ों का नुकसान पहुंचाना अब एक रवायत सी चल पड़ी है। डबल इंजन की सरकार में यह जंगल राज नहीं तो और क्या है, जहां पूंजीपति और संबंधित विभाग के अधिकारी प्रदेश में राजस्व की खुली लूट मचाए हुए हैं ।
मामला है जनपद नैनीताल के लालकुआं तहसील में फत्ताबंगर, मोतीनगर का, जहां हिमालय ग्रिड स्टोन क्रशर’ स्वामी भूपेश अग्रवाल पर बिना किसी अनुमति के अपने ही पड़ोसी विजय वीर नेगी के भूभाग से करोड़ों का उप खनिज चुरा कर बेच देने का आरोप है। हुआ यूं है कि दोनो की भूमि एक ही खेत नंबर 622 पर है, जिस पर दोनो पक्ष काबिज हैं पर लंबे समय से दोनों की भूमि का सीमांकन नहीं हुआ है, लंबे समय से भूमि का सीमांकन क्यों नहीं हुआ यही इस मामले का केंद्र बिंदु है।
विजय नेगी का आरोप है कि भूमि सीमांकन को लेकर भूपेश अग्रवाल ने आधारहीन शिकायतों के जरिए कई अड़ंगे लगाए, तांकी वह पूरे खेत से उप खनिज निकाल कर बेच सके। मेरे द्वारा सीमांकन शुल्क जमा करने के बाद भी भूपेश अग्रवाल के षड्यंत्र के तहत राजस्व विभाग सीमांकन करने से बचता रहा। यही नहीं बल्कि मेरे भूभाग के मुख्य मार्ग पर अवैध निर्माण करा रास्ता बंद कर दिया ।
यहां उल्लेखनीय है कि गौला नदी से सटी आबादी कभी नदी का ही हिस्सा हुआ करती थी, जहां आज भी थोड़ी सी खुदाई पर उप खनिज निकल आता है। जिसे तकनीकी भाषा में RBM बोलते हैं, जो किसी भी खनन व्यवसाई की आंखों में चमक ही नहीं लाता बल्कि कई सारी तिगड़मौ को उसके जहन में झोंक देता है, फिर उनके सपने आकार तलाशने की कोशिश में जुट पड़ते हैं । इस मुनाफे वाले काम को जरा भी ईमानदारी का चश्मा दिखा दिया तो मुनाफा बहुत कम होता है। इसलिए तमाम नियम मानकों को दरकिनार कर तलाशा जाता है झूठ, प्रपंच और संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों से सांठ गांठ का धरातल । यह धरातल खनन व्यवसाइयों को जहां करोड़ों का मुनाफा देता है वहीं राजस्व को भी उतनी ही गहरी चोट देता है।
उक्त मामले में समय से भूमि सीमांकन न किया जाना, उसे किसी भी तरह से लटकाया जाना राजस्व विभाग और भूपेश अग्रवाल के बीच किसी रिश्ते की गवाही देता नजर आता है। सीमांकन समय से हो जाता तो यह समस्या इतना विकराल रूप धारण नहीं करती और न ही उपखनिज चोरी की संभावनाएं बनती । इस मामले पर जब हमने भूपेश अग्रवाल से उनका पक्ष जानना चाहा तो उनका कहना था कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो इस पर कोई टिप्पणी करना मुझे ठीक नहीं लगता।
हमारी जानकारी के मुताबिक उक्त मामला न्यायालय में लंबित नहीं है बल्कि भूपेश अग्रवाल की आधारहीन शिकायत पर न्यायालय ने रोक लगाई है