संजय रावत
व्यवस्था की हर प्रणाली में कई सारे रास्ते हैं दिखाने और छुपाने के, हम क्या रास्ता अपनाते हैं यह हमेशा विवेक पर नहीं बल्कि कई बार हमारी प्राथमिकता या उदासीनता पर निर्भर होता है। अब ये निर्भरता किस पर और कैसे है यही किसी भी गुत्थी को सुलझाने – उलझने की वजह बनती हैं।
पिछली 9 अगस्त को दमुआढूंगा निवासी देव शाह पुत्र एम.पी.शाह को कुछ अति ऊर्जावान लंपटो ने गंभीर रूप से ऐसा मारा पीटा कि वह इतने बड़े ट्रॉमा से गुजरा कि ऐसी जिंदगी से मुक्त होने पर विवश हो गया। इस मामले पर मनोवैज्ञानिक ट्रायल जरूरी महसूस होता है, जो आगे उसके परिजनों पर निर्भर है ।
रूटीन पुलिसिंग कार्यवाही के चलते आज मृतक नौनिहाल देव शाह के पिता और मौसा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ( नैनीताल ) के पास इस लिए पहुंचे कि सब जानकारियों के बाद भी आरोपी गिरफ्त से बाहर क्यों हैं। कप्तान साहब ने संबंधित जांच अधिकारी को फोन लगा कर हालात का जायजा लिया तो उनका कहना था कि हमें अब तक वीडियो फुटेज नहीं मिल पाई हैं, इस पर मृतक देव के परिजनों का कहना था कि संबंधित फुटेज हमारे पास हैं। इस पर कप्तान साहब भी हतप्रभ से हो गए|
अब आगे जांच अधिकारी माननीय मनोज कुमार जी इस मामले पर इस खबर पर ज्यादा ध्यान देंगे कि आरोपियों की गिरफ्तारी पर ध्यान केंद्रित करेंगे यह उनके विवेक पर निर्भर है।