उत्तराखंड में जनपद नैनीताल के काठगोदाम थाने में दर्ज एफआईआर में बी.एन.एस. की धारा 115, 108, 309 (4), 324(2), 351(3) और 352 के तहत हत्यारोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। जिसे सामाजिक तौर पर गंभीर अपराध मानते हुए न्यायालय तो संजीदा है पर उत्तराखंड मित्र पुलिस की कार्यप्रणाली इसे चूहे बिल्ली का खेल बनाए हुए दिख रही है। मामला है देव नामक नाबालिग की पिटाई के बाद आत्महत्या का। जिसमें मुख्य आरोपी रेहान खान की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अन्य तीन आरोपियों क्रमशः सरफराज नसीम, कृष्ण और तनिष्क को जाने और क्या करने की छूट देते हुए गिरफ्तार नहीं कर रही है।
इस मामले को गंभीर मानते हुए जहां कल दिनांक 7 सितंबर 20240 को न्यायालय ने जेल में बंद आरोपी रेहान खान की जमानत खारिज कर दी, वहीं काठगोदाम पुलिस अब भी अन्य तीन मुलजिमो को पूरी मौज काटने का मौका दे खुद की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हुए है। अब यह बड़ी रकम का दबाव है या जिम्मेदारी के प्रति उदासीनता ने रगों को संवेदनहीन बना दिया, कहा नहीं जा सकता है।
यह सब भी तब हो रहा है जब स्थानीय विधायक सुमित हृयदेश वारदात को कुकृत्य मानते हुए विधानसभा में आवाज उठा चुके हैं। जिस राज्य पुलिस की चेतना इतनी कुंद हो कि उसे न्यायालय और स्थानीय विधायक की प्रक्रिया का भान ही न हो, उसकी कर्तव्य निष्ठा को आसानी से समझा जा सकता है। ऐसे में नागरिक सुरक्षा पर सवाल उठने अपरिहार्य हैं।