नेत्रदान को प्रोत्साहित करने का अनूठा अंदाज

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इंसान जब कुछ करने ठान ले तो मंजिल की तरफ को रोज नए रास्ते खोज ही लेता है। दीपावली के पावन पर्व पर एमबीपीजी के हिंदी विभाग के पूर्व प्राध्यापक डॉ सन्तोष मिश्र के परिवार ने एक बार फिर रास्ता खोज अनोखे अंदाज में नेत्रदान के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया।
डॉ मिश्र ने पत्नी गीता मिश्र और बेटी हिमानी मिश्र के सहयोग से दीपों से नेत्रदान शब्द लिखकर लोगों से किसी की अंधेरी दुनिया में उजियारा फैलाने की अपील की।

डॉ मिश्र ने बताया कि हल्द्वानी में आई बैंक खुलवाने और नेत्रदान के प्रति जागरूक करने के लिए 2014 में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। जिसे राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवियों ने व्यापक प्रचार प्रसार दिया।

जनमानस की मांग और चिकित्सकों के सहयोग से सुशीला तिवारी अस्पताल के नेत्ररोग विभाग द्वारा कुशलतापूर्वक नेत्र बैंक संचालित हो रहा है। जहां मरणोपरांत नेत्रदान किया जा रहा है और दान में प्राप्त कार्निया का प्रत्यारोपण कर चिकित्सक किसी की अंधेरी दुनिया रोशन कर रहे हैं।

नेत्रदान एक ऐसा नेक कार्य है जो नेत्रहीनों या नेत्रहीनों की दृष्टि वापस पाने में मदद कर सकता है। आंख का एकमात्र हिस्सा जिसे प्रत्यारोपित किया जा सकता है, वह है कॉर्निया, इसकी सबसे बाहरी परत। दुर्भाग्य से, कॉर्निया की भारी कमी है और आपूर्ति और मांग के बीच भारी असंतुलन है। ऐसे में नेत्रदान के प्रति जागरूकता पैदा करना जरूरी हो जाता है।

नेत्रदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि इस दान से दृष्टिहीन लोगों को दुनिया देखने का मौका मिलता है। लेकिन सामाजिक व धार्मिक परंपराओं के चलते या डर व भ्रम के कारण लोग नेत्रदान करने से डरते हैं। वहीं जो लोग ऐसा करना भी चाहते हैं, वे नेत्र प्रत्यारोपण से जुड़ी जरूरी जानकारियों के अभाव में नेत्रदान नहीं कर पाते हैं। भारत में नेत्रदान के बारे में आमजन में जागरूकता बढ़ाने, उससे जुड़े भ्रमों की सच्चाई से लोगों को अवगत कराने और लोगों को मृत्यु बाद नेत्रदान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है।

आंखें और आई टिश्यू दान करने से वैज्ञानिकों को नेत्र स्थितियों को समझने और अभिनव उपचार और चिकित्सा बनाने में मदद मिल सकती है। वैज्ञानिक मोतियाबिंद, मधुमेह नेत्र रोग, ग्लूकोमा जैसे विकारों के इलाज को सक्षम बनाने के लिए रेटिना, लेंस और आंख के अन्य घटकों का विश्लेषण कर सकते हैं।

नेत्रदान के इच्छुक लोग नजदीकी नेत्र बैंक में जाकर शपथ पत्र भर सकते हैं या फिर एम्स के उपक्रम ऑर्बो में ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं।

हल्द्वानी में हरजीत सिंह सच्चर, भारतीय नेत्र बैंक एसोसिएशन के सदस्य दीपक नौगाईं और अनमोल संकल्प सिद्धि फाउंडेशन की सुचित्रा जायसवाल नेत्रदान मुहिम को आगे बढ़ा रही हैं।


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