सुंदरलाल को भूमाफिया बनाने पर क्यों विवश है उत्तराखण्ड पुलिस

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उत्तराखंड पुलिस एक नया भूमाफिया पोषित कर स्थापित करने में तत्परता से जुटी नजर आती है । मामला है जनपद नैनीताल के ‘दोगड़ा’ में सूर्या गांव का जहां के गांववासी सुंदरलाल नामक आतंकी से परेशान ही नहीं हैं बल्कि पलायन को मजबूर हैं । वजह बस इतनी सी है कि उसके खिलाफ कई मुकदमे पंजीकृत होने के बाद भी उत्तराखंड पुलिस कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाती, उल्टा सुंदरलाल के कहने पर पुलिस गांवसियों को डरा धमका कर झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देती है । इस बात को लेकर सूर्या गांव के करीब 40 लोगों ने उपजिलाधिकारी हल्द्वानी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप अपनी व्यथा कथा से अवगत कराया है ।

कौन है सुंदरलाल, क्यों किसी गांव में उसका इतना आतंक है कि लोग पलायन को मजबूर हैं और पुलिस क्यों कार्यवाही नहीं करती उसके खिलाफ । इसकी पड़ताल करती यह रिपोर्ट …

कौन है सुंदरलाल –


आज जिस भूमाफिया को उत्तराखण्ड पुलिस स्थापित करने में तत्पर दिख रही है वो सुंदरलाल ‘रानीबाग’ में कभी ऑटो तो कभी टैक्सी ड्राइविंग का काम करता था, लेकिन इस बहाने कैरोसिन ऑयल ब्लैक और शराब तस्करी करने के लिए वो ज्यादा कुख्यात था । इनके पिता एक मामूली ठेकेदार थे जिनकी आठ संतानों में सुंदरलाल चौथे नंबर की संतान है । सुन्दरलाल की दो पत्नियां से कमशः तीन व दो संताने हैं । गांव वासी बताते हैं कि उसकी दोनों शादियाँ विधिनुसार नहीं हैं । सुंदरलाल का एक सूत्रीय कार्यक्रम है गरीब, असहाय, अपंग और दलित वर्ग की जमीनों पर कब्जा करना । उत्तरप्रदेश व अन्य राज्यों से बाउंसर हायर कर रंगदारी उसूल करना, ना देने पर जान से मारने और पुलिस द्वारा झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देना । सुंदरलाल सफेदपोश बनने के भी जतन कर चुका है जिसके लिए वो 3 बार अलग अलग जगह से बहुजन समाजवादी पार्टी से विधायक और सांसद का चुनाव लड़ चुका है ।

हालिया कारनामों के हवाले से —

पिछले दो दशकों से सुंदरलाल के कारनामों की पहरिस्त यूं तो बड़ी लंबी है पर कुछ हालिया कारनामे कम हतप्रभ करने वाले नहीं हैं । गांवसियो से मुलाकात कर पता चला कि ग्राम- रामपुर तौंगिया, पोस्ट – पाटकोट, तहसील – रामनगर, जनपद नैनीताल में मीना देवी पत्नी भुवनराम के घर अपने बाउंसर के साथ सुंदरलाल अक्सर धमक जाते हैं और बीस लाख की रंगदारी के लिए प्रताडित करते हैं । ऐसा ना करने पर मीना देवी की चौदह एकड़ जमीन अपने नाम कराने को दबाव बनाते हैं और धमकी देते हैं कि मेरे ऊपर पहले से ही कई मुकदमे दर्ज हैं तुझे मारकर एक और मुकदमा होने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला । मानसिक प्रताड़ना देने के लिए वो मीना देवी को नाजायज औलाद भी कहता है तांकि उसके पिता की संपत्ति से उसे बेदखल करने का रास्ता खोजा जा सके ।
दूसरा मामला है अनाथ बच्चों अजय आर्य पुत्र स्व . तारी राम के मकान को तोड़ के जमीन पर कब्जा कर लिया है । तीसरा मामला है धना देवी पत्नी स्व. शिवलाल का । गांव वासी बताते हैं कि इनकी जमीन कब्जाने के लिए सुंदरलाल ने इतना प्रताड़ित किया कि शिवलाल सदमा दर सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके और स्वर्ग सिधार गए । बाद में भी ये उत्पीड़न धना देवी के साथ जारी रहा और धना देवी अपनी बची हुई जमीन बेच पलायन को मजबूर हुई ।
ऐसे और कई मामले जिनमें जमीनें हड़पने के लिए अपनी मन कैसी ना होने पर ‘एस सी एस टी एक्ट’ के तहत झूठे मुकदमे दर्ज करवाए । एक ऐसा ही मुकदमा झूठा साबित होने पर सुंदरलाल को ढाई साल की सजा भी हुई है जिस पर वह अभी हाईकोर्ट से जमानत पर है ।

मुकदमों की फेहरिस्त

सुंदरलाल के मुकदमों की फेहरिस्त बयां करने से पहले यह उल्लेख जरूरी है कि अधिकांश मुकदमे तो थाने कोतवाली तक पहुंचने ही नहीं दिए जाते । फिर भी गांवसियो के उत्पीड़न के मुकदमों की फेहरिस्त किशोरी लाल पुत्र तुला राम द्वारा कुछ जगह से सूचना के अधिकार में मांगी गई जो कुछ इस तरह से है – सुंदरलाल पुत्र दानी राम ग्राम सूर्यगांव, पट्टी चोवड़ा, पोस्ट दोगड़ा, थाना तल्लीताल ( नैनीताल ) के विरुद्ध निम्न लिखित धाराओं में पंजीकृत हैं ।
1 – मु.अ. सं. 12/20 धारा 325/504/506
2 – मु. अ. सं. 36/20 धारा 323/504/506
3 – मु. अ. सं. 43/20 धारा 504/506 यह सभी धाराएं आई पी सी के अंतर्गत दर्ज हैं
ऐसे ही थाना काठगोदाम में भी निम्न धाराओं में मुकदमे पंजीकृत हैं – मु. अ. सं. 180/05 धारा 147/341
मु. अ. सं. 53/2008 धारा 147/148/324/506 है ।
इनमें से कुछ मुकदमों में गैरजमानती वारंट जारी किए जाते हैं पर जमानत मिल जाती है ।

बेअसर रही सारी तहरीरें

सुंदरलाल के खिलाफ जितनी तहरीरें नैनीताल पुलिस को दी गईं उनमें से कुछ मुकदमों को छोड़ कोई सुनवाई ही नहीं हुई । गांव वासी मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में इसका जिक्र करते हैं कि – ‘पुलिस क्षेत्राधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय को भी कई प्रार्थनापत्र प्रेषित किए गए थे । पर आज दिनांक तक उक्त विपक्षी को पहुंच को देखते कोई कार्यवाही नहीं हुई । सुंदरलाल आर्या को राजनीतिक संरक्षक प्राप्त है जिस वजह से उसके हौसले बुलंद है’ । जिस कारण विवश होकर उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमान्त्री को ज्ञापन भेजा गया है ।

आंखिर पुलिस और प्रशासन को सुनाई क्यों नहीं देती मजलूमों की आवाज

टैक्सी ड्राइवर सुंदरलाल को बतौर भूमाफिया स्थापित करने में उत्तराखंड पुलिस का बड़ा योगदान हैं इसे इंकार करने की कोई वजह नजर नहीं आती है । खैर कुछ ठोस वजह है जिस वजह से सीधे साधे पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी मजलूमों का करुण क्रंदन सुन नहीं पाते हैं । दरअसल राज्य निर्माण के बाद खनन और आबकारी के अलावा को काम पनपा तो वो है जमीनों की खरीद फरोख्त का । जिस सूर्यगांव में सुंदरलाल आतंक का पर्याय बना है वो ऐसा पहाड़ी क्षेत्र है जो हल्द्वानी से बहुत ही कम दूरी पर स्थित है । नगर, जनपद, राज्य और राज्य के बाहर के नव धनाढ्यों के लिए ये एक बेहतर ऐशगाह साबित होता आरहा है । जहाँ वर्तमान में करीब तीस छोटे रेस्टोरेंट और पांच बड़े रिहायशी रेस्टोरेंट और रिसोर्ट गतिमान हैं जहाँ नयी पीढ़ी के पयर्टक, प्रेमी युगल,अनैतिक देह संबंध बनाने वाले रसिकों का तांता लगा रहता है । जिसके चलते बड़े रिजॉर्ट और होटल चलने की संभावनाएं दिनों दिन बढ़ती जारही हैं । जमीन सस्ती हैं जिन्हें लोकल के दलाल कम दाम या जमीनें कब्जा कर ऊंचे दामों पर बेचते हैं । अब इसी क्रम में राज्य और राज्य के बाहर के लोग ऐसे दलालों की खोज में रहते हैं ऐसी ही एक खोज का नाम है सुंदरलाल । जिसे पूंजीपति, टटपुँजिए, व्यापारियों के लिए पुलिस की मदद का सहारा लेकर भूमाफिया के रूप में स्थापित किया जाता है ।

वैसे तो गांव वासी दोहरी मार महसूस करते हैं कि एक बेलगाम दबंग उनकी जमीनें कब्जाते जा रहा और हैरानी ये कि दलित ही दलित का बेख़ौफ़ उत्पीड़न कर रहा है । ये अलग बात है कि वो दलितों का ही नहीं उन सब भूस्वामियों का भी उत्पीड़न कर रहा है जो कमजोर और बेसहारा हैं । चूंकि पूंजी का असल धर्म तो मुनाफा ही है । अब देखना यह है कि जिस दिन जनदबाव में सुंदरलाल पर शिकंजा कसेगा उस दिन उसके और पुलिस महकमे के बीच रिश्तों का रूप कितना भयावह होगा ।

सहयोगी रूप चंद गंगवार के साथ संजय रावत की रिपोर्ट


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