संजय रावत
कुछ दिनों से उत्तराखंड में भाजपा के इस नारे पर फिर से चुटकियां ली जा रही है – ‘सबका साथ सबका विकास’ । यह सच भी है लेकिन यह चुटकी लेने का नहीं अवलोकन का समय है । सूबे के मुखिया जिन्हें धाकड़ जैसी उपाधियों से नवाजा गया है उनके भाषणों और नीतियों में कोई तारतम्य है ही नहीं। राज्य की जनता को अब लगने लगा है कि आप एक डमी मुखिया हैं जिनकी जिह्वा पर आपके विवेक का नहीं अपितु किसी और का आधिपत्य हो।
नारों और उपाधियों से बाहर आ कर बात की जाए तो युवा राज्य की जनता को भाषण और मानसिक प्रताड़ना के सिवा मिल क्या गया, यह आपको सोचने का समय ही कहां दिया होगा आपके माननीयों ने। हर बार शिष्टाचार के बहाने कितनी बार खुश कर पाएंगे आप उन्हें। कुशल नेतृत्व के बहाने ही सही आप खुद को साबित ही नहीं कर पाए। ताजा उदाहरण के तौर पर एक छोटी सी मांग कि यूपीसीएल के एम डी अनिल यादव के सेवा विस्तार का आदेश ही सार्वजनिक करने की मांग थी, जनता की इतनी सी मांग पूरी नहीं करने का मतलब है आप धाकड़ नहीं कुछ और हो जिसके लिए राज्य की जनता कोई नया संबोधन तलाशेगी।
अजीब बात है कि जिस अधिकारी के लिए एक सचिव ने सब जान समझ कर जांच के आदेश दिए हैं, बजाए उसकी जांच के उसे सेवा विस्तार देना कुशल मुखिया होने की निशानी तो दर्शाता नहीं है। यह जरूर दर्शाता है कि पहाड़ी राज्य का मुखिया एक ऐसी कठपुतली है जिसकी डोर दूर कहीं ऐसे राज्य के लोगों के हाथ है जो पूंजी अर्जित करने के लिए किसी भी राज्य को नेस्तनाबूत कर सकते हैं।
खैर राज्य की जनता के सामने तो उन अदृश्य शक्तियों का चेहरा आप ही हो साहेब। अब चेहरा तो बनता बिगड़ता है उन कार्यकलापों की वजह से जिन्हें राज्य की जनता यथार्थ में देखती है और महसूसती है। यह सब जानते हैं कि धाकड़ धामी जी के किले में कोई परिंदा किसी आई ए एस नामक बाज से लड़ ही नहीं सकता। बाजों के झुंड से लड़ने का अंजाम किसी परिंदे को को भी मालूम होता है और परिदृश देखने वालों को भी। कोई परिंदा वहां से बच के जिंदा निकल आया इस पर किसी को हैरत नहीं है।
अब बात करते हैं आपके प्रिय सचिव के अधिनस्थ प्रबंध निदेशक ( पिटकुल ) अनिल यादव जी की जिनके खिलाफ राधा रतूड़ी ने गंभीर आरोप लगाते हुए आपको पत्र लिखा कि ईशान इंटरप्राइजेज प्रकरण में पिटकुल के अधिकारियों के विरुद्ध की गई अति गंभीर टिप्पणियां, तत्कालीन प्रबंध निदेशक अनिल कुमार एवं महाप्रबंधक ( विधि ) प्रवीण टंडन द्वारा बरती गई लापरवाही तथा उदासीनता, मैसर्स ईशान इंटरप्राइजेज और एसोसिएटेड प्रकरण में जांच समिति द्वारा दी गई आख्या तथा उपरोक्त जांच आख्या पर विधिक परामर्श एवं प्रकरण की संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुए शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की जाती है।
क्या वजह हैं कि किसी सचिवालय के उच्च अधिकारी की अनुशंसा पर जांच कराने की बजाए यादव जी को से विस्तार दिया गया।
ऐसे शासन को सुशासन कहे जनता या कुशासन आप ही निश्चित कर बताएं मुख्यमंत्री जी।