अस्पताल में यौन उत्पीड़न मामले के इंटर्नल ट्रायल पर लगी हैं सबकी नजरें

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अब देखना यह है कि यह ‘इंटर्नल कंप्लेन एण्ड सैक्सुअल हरासमेंट कमेटी’ का पैनल क्या फैसला सुनाता है । इस कमेटी का फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं के लिए पीड़ित पक्ष इस पर भरोसा करे या ना करे ।

यौन उत्पीड़न का सामंती “दर्शन” पढ़े-लिखे और मूर्खों के बीच कोई फर्क नहीं रहने देता, इसीलिए इस दर्शन से ग्रसित लोग अक्सर एक ही से कारनामों को अंजाम देते हैं । बदकिस्मती से बात हो रही है उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के एक सरकारी अस्पताल की । जहां चर्चा आम है कि एक वरिष्ठ चिकित्सक ने अपने अंडर इंटर्नशिप करने वाली मेडिकल छात्रा का यौन उत्पीड़न किया ।

मामला है ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय, देहरादून का । जिसका नाम पहले ‘राजकीय कोरोनेशन चिकित्सालय देहरादून’ था । यहां के वरिष्ठ पैथोलोजिस्ट डॉ जे पी नॉटियाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने अंडर इंटर्नशिप करने वाली छात्रा लक्ष्मीबाई ( काल्पनिक नाम ) को कई बार अलग अलग तरीके से उत्पीड़ित किया । पहले तो उक्त महिला ने सब अनदेखा करते हुए टाल जाने की कोशिश की ।जिसे डॉक्टर साहब गलती से कामयाबी के बढ़ते कदम समझ बैठे । फिर अति की इति तो होना तय ही था ।

फिर पीड़ित द्वारा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ शिखा जंपानगी को लिखित शिकायत दी है, जिस पर जांच के आदेश हुए बताए जा रहे हैं । इस बाबत हमने डॉ शिखा जंपानगी से बात की तो उनका कहना था कि – आरोपी चिकित्सक और पीड़िता के मामले में अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं पर विभागीय जांच शुरू हो चुकी है । जांच के लिए गठित पैनल ने एक पक्ष के बयान ले लिए हैं, दूसरे पक्ष के बयान भी संभवतः कल हो जाएंगे ।

अस्पताल की ‘हॉस्पिटल क्वालिटी मैनेजर’ आरती शर्मा से बात करने पर उनका कहना था कि – हमने ऐसे मामलों के लिए ‘इंटर्नल कंप्लेन एण्ड सैक्सुअल हरासमेंट कमेटी’ बनाई हुई है, जिसमें इस मामले का ट्रायल चल रहा है । पीड़ित के बयान हो गए हैं पर किसी कारणवश दूसरे पक्ष के बयान कल हो जाएंगे । फिर निष्पक्ष जांच के बाद कमेटी सब कुछ साफ कर देगी ।

इस कमेटी में कौन लोग शामिल हैं जिनसे उम्मीद की जा सकती है कि पीड़ित पक्ष को न्याय मिलेगा । इस पर आरती शर्मा का कहना था कि – वरिष्ठ चिकित्सक ( पुरुष ), पीडिअट्रिशन ( महिला ), गायनी ( महिला ), साइकोलॉजिस्ट ( महिला ), असिस्टेंट नर्स और अन्य महिला पुरुष प्रशासनिक अधिकारी इस ट्रायल में शामिल थे ।

अब देखना यह है कि कल दूसरे पक्ष के बयान के बाद यह ‘इंटर्नल कंप्लेन एण्ड सैक्सुअल हरासमेंट कमेटी’ का पैनल क्या फैसला सुनाता है । इस कमेटी का फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं के लिए पीड़ित पक्ष इस पर भरोसा करे या ना करे ।


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