अंबेडकर को पूजने की नहीं, पढ़ने और व्यवहार में उतारने की जरूरत है नवेंदु – मठपाल

Share the Post
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  

बाबासाहब डा भीमराव अंबेडकर की 133 जयंती की पूर्व संध्या 13 अप्रैल 2024 को ज्योतिबाफुले सांयकालीन स्कूल पुछड़ी में उनको याद किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण से हुई, उसके बाद संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया। इस मौके पर बोलते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ के नेता नंदराम आर्य ने कहा –
उन्होंने सफलता के तीन मंत्र दिए थे – ‘शिक्षित हो, संगठित हो, संघर्ष करो।’
संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बाबा साहब ने सही अर्थों में लोकतान्त्रिक मूल्यों की स्थापना संविधान के माध्यम से की। इसलिए हमारा संविधान हमारे लोकतंत्र का रक्षक है। आज बाबा साहेब की मानवतावादी विचारधारा और भी ज्यादा जरूरी है।

रचनात्मक शिक्षक मंडल के संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा – अंबेडकर को पूजने की नहीं पढ़ने और व्यवहार में उतारने की जरूरत है। उन्होंने दलितों के साथ साथ मजदूर वर्ग एवं महिलाओं के मानवीय अधिकारों के साथ समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्ष किया। उनके व्यक्तित्व में एक अर्थशास्त्री, राजनेता, दार्शनिक, शिक्षाविद्, कानूनविद समाहित है।

इस मौके पर बाबा साहेब तुम्हें प्रणाम और लोगों को दिया समानता का अधिकार कविता का पाठ भी किया गया। बच्चों द्वारा उनका चित्र बना उनको श्रद्धांजलि दी गई।कार्यक्रम के अंत में सभी से लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान अवश्य करें की अपील की गई। इस मौके पर मो ताहिर,नवेंदु मठपाल,नंदराम आर्य,सुजल कुमार,शबनम,महेंद्र आर्य ,बालकृष्ण चंद,सुभाष गोला,हेमन्त कुमार
मौजूद रहे।


Share the Post
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *